गुरुवार, 28 जनवरी 2010

नेट लेखन की धुरी है खुलापन

'हाइपर टेक्स्ट' आने के बाद पाठ चारों ओर से खुला और फैला होता है।लिखित रूपरेखा से भिन्न दिशा में ले जाता है।अन्तर्संबंधित विषयों की ओर ले जाता है।इसके कारण इसके नरेटिव में भी अन्तर्संबंध होता है।कुछ बातें ऐसी भी लिखी मिल जाएंगी जो लिखित रूपरेखा के बाहर हो सकती हैं।इन अंशों तक जाने के लिए नोडस के संपर्क में जाना होगा। खुली एप्रोच से काम लेना होगा।निष्कर्ष निकाले बगैर पढ़ना होगा।चाहें तो बाद में निष्कर्ष निकाल सकते हैं।


जब आप कोई छोटा सा हाइपर टेक्स्ट निबंध पढ़ते हैं तो उसमें अनेक अन्तर्संबंधित क्षेत्रों के लिंक दिए रहते हैं।ये विभिन्न नोड्स में होते हैं।इन्हें आप जाकर खोलिए तो आपको किसी न किसी मुद्दे पर सामग्री मिल जाएगी।यहां अनेक रास्ते हैं। अनेक बिन्दु हैं जिनके साथ आप तर्क कर सकते हैं।
डेविड बोल्टर ने ''राईटिंग स्पेस: कम्प्यूटर्स,हाइपर टेक्स्ट एण्ड दि हिस्ट्री ऑफ राईटिंग'' (2001) कृति में हाइपर टेक्स्ट को युगान्तरकारी फिनोमिना माना है।बोल्टर का मानना है कि डिजिटल लेखन व्यक्तिगत,सौन्दर्यबोधीय, सांस्कृतिक, अकादमिक और आर्थिक गतिविधि है। बोल्टर के अनुसार सन् 1991 का साल डिजिटल लेखन के संदर्भ में महत्वपूर्ण साल है। 


आज डिजिटल लेखन सामान्य रूप में सांस्कृतिक स्वीकृति पा चुका है।इसके बावजूद कुछ लोग संदेह की नजर से देख रहे हैं।आज सारी दुनिया में कम्प्यूटर आधारित लेखन फैल चुका है।बोल्टर ने माना है कि मुझे भी अन्य लोगों की तरह इस बात का अहसास नहीं हुआ कि इलैक्ट्रिोनिक कम्युनिकेशन इस तरह निर्धारक तत्व बन जाएगा।उसका विश्वव्यापी हाइपर टेक्स्ट व्यवस्था के रूप में विकास होगा।
    लेखन की दिशा को बदला जा सकता है इसके बारे में कम्प्यूटर की क्षमताओं ने संजोषजनक प्रमाण दिए हैं।बोल्टर ने अपनी कृति के प्रथम संस्करण में हाइपर टेक्स्ट को स्वनिर्भर कम्प्यूटर प्रोग्राम टेक्स्चुअल सिस्टम के रूप में देखा।


मसलन् 'इनसाइक्लोपीडिया' को ही लें।इसका जन्म प्राचीनकाल में हुआ।बाद में मध्यकाल में इसे समृध्द किया गया। इनसाइक्लोपीडिया बनाने की इस दौर में जरूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि पाठ नष्ट हो रहा था,पाठ का अभाव था,पाठ के प्रबंधन में असुविधा हो रही थी।अच्छे पाठ की कमी महसूस हो रही थी और अच्छे पाठों को एक ही जगह रखने की इच्छा थी।यह सब घटनाएं सातवीं शताब्दी के आसपास की हैं।जब फ्रांसीसी इनसाइक्लोपीडिया सामने आया तो उसमें ज्यादातर मुद्रित सामग्री शामिल की गई।इसमें अकारादि क्रम से चीजों को रखा गया। जिससे वे व्यवस्थित लगें।संस्कृति को अवधारणा के रूप में पेश किया गया।


बोल्टर ने लिखा है कि ''इनसाइक्लोपीडिक इम्पल्स'' वस्तुत: इजैक्ट्रोनिक क्षमता को निर्देशित करते हैं। इनसाइक्लोपीडिया में प्रस्तुत सुनिश्चित मुद्रित पाठ ही साइबरस्पेस को संगठित करने का आधार बना। इनसाइक्लोपीडिया में जैसे निबंधों को सजाकर रखा जाता है वैसे ही साइबर स्पेस को भी सजाकर रखा जाता है।


बोल्टर का मानना है हाइपर टेक्स्ट में हमारा  ज्ञान और तर्क को लेकर अवसरवादी रवैयया रहा है।हम चाहते हैं कि सूचना और ज्ञान की संरचना अल्पकालिक और पूरक हो।किंतु यह स्थिति मुद्रित या पाण्डुलिपि के इनसाइक्लोपीडिया में संभव नहीं है।वहां ज्ञान का स्थायी ढ़ंाचा बना हुआ है।आज हम जो ज्ञान देख रहे हैं वह ज्ञान का संकलन है।इसे आप जिस रूप में चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका प्रत्येक पैटर्न पाठकों के एक वर्ग की जरूरतों की पूर्ति करता है।जबकि वेब का इनसाइक्लोपीडिया निरंतर खोज और संवाद की मांग करता है।

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